download 1
शेयर करें

ज्योति शर्मा

क्या सोच कर देते होंगे लोग ,

एक सैनिक को,अपनी जान से प्यारी बेटी,

क्या सीना होगा, उस बाप का,

जो एक वीर सैनिक को, ब्याहे अपनी बेटी,

फिर जरा सोचो, उस दुल्हन के शौर्य को…

जो खुद अपने बालम का तिलक कर ,भेजें सरहद

भूल कर अपनी होली …

कोई न जाने उस बिरहन का दर्द ,

जिसका साजन , सरहद पर अपने खून से खेले होली

कैसे सही जाए बालम से ये दूरी,

ये कैसी होली….

जब सारा देश मनाये रंगों से अपनी होली 

तब एक सैनिक देश रक्षा को सीने पर खाए, दुश्मन की  गोली

ये कैसी होली….

न शक करो अपने वीरो के शौर्य पर,

न भूलो की तुम्हारे रक्षा के लिए ही खाते हैं, सीने पर गोली,

सीना ठोक बोलो , बहुत है मेरे वीरो की शौर्य शक्ति

तब ही मनेगी सही होली…

तब ही मनेगी सही होली..


शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!