साहित्यकार अपने देश, की अनुभूति ,आँख ,कान और हृदय होता है। – प्रो. सरोज गुप्ता
सागर। उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार शासकीय कला एवं वाणिज्य अग्रणी महाविद्यालय, सागर की प्राचार्य प्रो सरोज गुप्ता के मार्गदर्शन में, स्वामी विवेकानंद कैरियर योजना प्रकोष्ठ के तत्वाधान में हिंदी विभाग द्वारा महाविद्यालय में प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद और महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी के जयंती समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्राचार्य डा सरोज गुप्ता ने कहा कि साहित्यकार अपने देश, की अनुभूति ,आँख ,कान और हृदय होता है मुंशी प्रेमचन्दजी ने लिखा है.हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा, जिसमें उच्च चिंतन का सार हो, स्वाधीनता का भाव हो, सौन्दर्य का सार हो।सृजन की आत्मा हो, जीवन की सच्चाईयों का प्रकाश हो ।जो हममें गति संघर्ष और बैचेनी पैदा करे। कार्यक्रम के संचालन डॉ.राना कुंजर सिंह ने महाकवि तुलसीदास के व्यक्तित्व और कृतित्व तथा मुंशी प्रेमचंद जी की कठिन जीवन यात्रा और साहित्यिक कृतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मुंशी प्रेमचंद जी ने 300 से अधिक कहानियों की रचना की थी और वे सभी समाज के अलग-अलग वास्तविक किरदारों से प्रेरित रही। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रंजना मिश्रा ने स्वागत भाषण में सभी उपस्थित जनों का वंदन-अभिनंदन करते हुए मुंशी प्रेमचंद और गोस्वामी तुलसीदास जी के हिंदी जगत में दिए गए योगदान पर वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि गुलाम भारत की दीन-हीन सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में भारतीयों की दुर्दशा को देखकर प्रगतिवाद और समाजवाद से प्रेरित होकर मुंशी प्रेमचंद ने यथार्थवादी साहित्य की रचना की। उन्होंने अपने उपन्यास गोदान, गबन, निर्मला से उस समय की कुरीतियों-जैसे बाल विवाह, बेमेल विवाह, दिखावे की संस्कृति लोभ- लालच जैसी मनोवृतियों का बड़ी कुशलता से चित्रण किया है। उन्होंने तुलसीदास जी को सामाजिक समरसता और मानवीय मूल्यों का सबसे बड़ा वाहक बताया। स्वामी विवेकानंद कैरियर योजना प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ प्रतिभा जैन ने प्रकोष्ठ के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि इस प्रकोष्ठ का उद्देश्य बच्चों में अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण एवं प्रतिबद्धता के भाव विकसित करना है। उन्होंने जयंती कार्यक्रमों के आयोजन के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि इन आयोजनों से हम अपने महापुरुषों की योग्यता और प्रतिभा को जान पाते हैं तथा उनसे प्रेरित हो सकते हैं। कार्यक्रम में रचना पाठ एवं दोहा पाठ में विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों ने सहभागिता की जिनमें से विकिता तिवारी, रामायण नामदेव, अंकुर भारती रामाशीष यादव और शोधार्थी आदित्य प्रताप, वैशाली रजक आदि विद्यार्थियों ने मुंशी प्रेमचंद और तुलसीदास जी के जीवन चरित और साहित्यिक कृतियों के अंशों का पाठ और चर्चा की। उमा ठाकुर ने रामचरितमानस की विभिन्न चौपाइयों का अर्थ सहित वाचन किया । शोधार्थी रूपल दुबे ने रामचरितमानस की विभिन्न चौपाइयों का संदर्भ देते हुए पश्चिमी सांस्कृतिक मूल्यों को त्यागने का संदेश दिया । आयुषी रैकवार ने तुलसीदास के विभिन्न दोहों द्वारा भक्ति काल में उनके द्वारा विभिन्न संप्रदायों में एकता स्थापना के प्रयासों की चर्चा की। इस कार्यक्रम में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन से जुड़े श्री चंदन कुमार ने अपनी बात रखते हुए फाउंडेशन द्वारा विद्यार्थियों को प्राप्त होने वाली विभिन्न स्कॉलरशिप के बारे में बताया। फाउंडेशन द्वारा प्रेमचन्द साहित्य के पोस्टर की प्रदर्शनी लगाई गई। कार्यक्रम के अंत में हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सुरेंद्र यादव द्वारा सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया गया। इस कार्यक्रम के साथ-साथ इस अवसर पर निबंध प्रतियोगिता एवं पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। महाविद्यालय परिवार के प्राध्यापकगण तथा कर्मचारियों के साथ विद्यार्थियों की सहभागिता ने इस कार्यक्रम को सफल बनाया।
