सागर। डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में शौर्य, संस्कृति एवं कला संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की अध्यक्षता में एक महत्त्वपूर्ण बैठक कुलपति सभाकक्ष में आयोजित की गई जिसमें संग्रहालय के यथाशीघ्र संचालन की तैयारियों को लेकर दिशा निर्देश दिए गये।
बैठक में कुलपति ने विश्वविद्यालय में स्थापित होने वाले संग्रहालय की वृहद् कार्ययोजना पर प्रकाश डालते हुये कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य एक ऐसे संग्रहालय को स्थापित करना है जो शौर्य, संस्कृति और कला का अद्भुत केंद्र बने। इसके लिए चरणबद्ध तरीके से संग्रहालय की शुरुआत की जायेगी। संग्रहालय का निर्माण विश्वविद्यालय के प्राथमिक कार्यों में है और हमारा प्रयास है कि गौर जयंती के अवसर पर डॉ. गौर संग्रहालय की शुरुआत कर सकें।
विश्वविद्यालय युद्धस्तर पर संग्रहालय संचालन समिति के सदस्यों ने विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रथम चरण में डॉ. हरीसिंह गौर से सम्बंधित साहित्य एवं उनसे जुड़ी सामग्री, उनके जीवन से जुड़ी दुर्लभ जानकारियाँ एवं सामग्री, जनजातीय संस्कृति पर आधारित प्रदर्शनी एवं सामग्री की प्रदर्शनी, बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश के वीर सेनानियों के पोर्ट्रेट एवं जानकारियाँ, मध्य प्रदेश की जैव विविधता का परिचय देने संबंधी पोर्ट्रेट, मध्य प्रदेश से सम्बंधित भूगर्भशास्त्रीय जानकारियाँ एवं सामग्री आदि का प्रदर्शन किया जाएगा। इसी के साथ ही एनसीसी से सम्बंधित विभिन्न जानकारियाँ एवं सामग्री प्रदर्शित की जायेगी। सागर एवं बुंदेलखंड का इतिहास, भारत की आजादी में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए हमारे जननायकों की गाथाओं को भी इस संग्रहालय में स्थान दिया जाएगा।
आगामी चरण में भारतीय थल सेना, जल सेना एवं नभ सेना के शौर्य को प्रदर्शित करती हुई सामग्री भी प्रदर्शनी के लिए रखी जायेंगी। भारतीय वीर जवानों के शौर्य एवं बलिदान को प्रदर्शित करते हुए कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा जिसमें सागर, बुंदेलखंड एवं मध्य प्रदेश के बलिदानी वीर जवानों की स्मृति को भी सहेजा जाएगा। जनजातीय नायकों, उनके संघर्ष, योगदान एवं बलिदान को भी संग्रहालय में स्थान दिया जाएगा। इसके साथ ही बुंदेलखंड की लोक कला, संस्कृति, पारंपरिक वाद्य यंत्र, देशज परंपरा से सम्बंधित जानकारी एवं सामग्री भी प्रदर्शित की जायेगी।
पिछली बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार महार रेजीमेंट एवं भारतीय सेना के विभिन्न शाखाओं के सहयोग से संग्रहालय में प्रदर्शनी हेतु टैंक, एयरक्राफ्ट एवं सेना के जहाज एवं अन्य सैन्य सामग्री भी प्रदर्शनी के लिए रखी जायेगी। संग्रहालय में देश की रक्षा में तत्पर तीनों विंग की संरचना एवं रैंक की जानकारी प्रदर्शित की जायेगी। देश की रक्षा के लिए मिलने वाले विभिन्न अवार्ड एवं पदकों की जानकारी के प्रदर्शन के साथ भारतीय सेना की विभिन्न इकाईयों में रोजगार के अवसरों के बारे में भी जानकारी प्रदर्शित की जायेगी। परमवीर चक्र, अशोक चक्र एवं अन्य वीरता पदकों की रिप्लिका भी लगाईं जायेंगी जिससे युवाओं को अपनी सेना के बारे में पूरी जानकारी मिल सकें और देश सेवा के लिए प्रेरणा एवं ऊर्जा मिल सके।
बैठक में संग्रहालय की समन्वयक प्रो. श्वेता यादव, प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत, प्रो. अजीत जायसवाल, प्रो. नागेश दुबे, प्रो. बी. के. श्रीवास्तव, प्रभारी कुलसचिव डॉ. एस.पी. उपाध्याय, डॉ. पंकज तिवारी, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. सुमन पटेल उपस्थित रहे।