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सागर . सागर जिले के निजी स्कूलों को मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन)अधिनियम 2017 तथा नियम 2020 एवं सीबीएसई के नियम,परिपत्रों के अनुसार संचालित कराने सहित अन्य विषयों को लेकर सुनवायी दिनाँक 29/8/2025 को स्थायी लोक अदालत अध्यक्ष श्रीमान शहाबुद्दीन हाशमी (प्रथम जिला न्यायधीश) के समक्ष हुई। प्रकरण में आवेदक/याचिका कर्ता अधिवक्तागण डॉ धरणेन्द जैन,डॉ अंकलेश्वर दुबे,रामदास राज,वीरेंद्र सिंह राजपूत, दिनेश चिरवरीय,अरविंद रवि जैन, के के प्रजापति,लवलेश श्रीवास्तव,अदिति त्रिपाठी सहित साथी अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन ने अधिनियम और नियमों के क्रियान्वयन हेतु एक प्रतिवेदन अदालत के समक्ष रखा।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता डॉ धरणेन्द जैन,डॉ अंकलेश्वर दुबे,रामदास राज,अरविंद जैन रवि ने संयुक्त रूप से बताया कि सागर जिले स्थित समस्त निजी विद्यालयों का संचालन अधिनियमों,नियमों, परिपत्रों के अनुसार संचालन हेतु एक आवेदन पत्र अदालत में दिनाँक 25/3/25 को प्रस्तुत किया था जिसका प्रकरण क्रमांक 25/2025 है ।उक्त लंबित प्रकरण में सचिव सीबीएसई,जिलाधीश सागर एवं जिला शिक्षा अधिकारी सागर को अदालत द्वारा नोटिस जारी किए गए।
अदालत में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन एवं दस्तावेज के अनुसार दिनाँक 11/8/25 को संबंधित अधिनियम की धारा 7(1) के अनुसार जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया।समिति का अध्यक्ष जिला कलेक्टर सागर,सदस्य सचिव जिला शिक्षा अधिकारी सागर,सदस्य जिला कोषागार अधिकारी सागर एवं सहायक संचालक शिक्षा को बनाया गया और 11/8/25 को ही उक्त समिति की बैठक आयोजित की गयी और दिनाँक 14/8/25 को कलेक्टर सागर ने निजी विद्यालयों की सतत मानीटरिंग हेतु 12 निरीक्षण दल बनाए, उपरोक्त दलों ने प्रतिवेदन के अनुसार कुल 112 निजी स्कूलों का निरीक्षण किया जिसमें 11 स्कूलों को चेतावनी नोटिस जारी किया गया शेष स्कूलो की जांच हेतु समय माँगा गया शेष स्कूलों का निरीक्षण एवं निरीक्षण रिपोर्ट प्रतीक्षारत है.
याचिकाकर्ता अधिवक्ता डॉ धरणेन्द जैन,डॉ अंकलेश्वर,रामदास राज, वीरेंद्र सिंह,दिनेश चिरवरीय, अरविंद जैन रवि ने संयुक्त रूप से बताया कि जो 11 स्कूलों में निरीक्षण के दौरान कमियां पायी गयी हैं उनको चेतावनी नोटिस की बजाय सीधी कार्यवाही प्रस्तावित की जानी चाहिए थी,जिस स्कूलों में फीस अधिक ली है उन स्कूलो को निर्देश जारी होने चाहिए कि अभिभावकों या बच्चों की अधिक ली गयी फीस लौटाना चाहिए.


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