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स्व-सहायता समूह से जुड़ाव बना आत्मनिर्भर बनने का जरिया

सागर। ग्राम आमेट, विकासखण्ड सागर की रहने वाली द्रौपती कुर्मी ने कठिनाइयों के बीच अपनी मेहनत और लगन से खुद को आत्मनिर्भर महिला के रूप में स्थापित किया है। पहले उनके पास केवल दो दुधारू पशु और 15 एकड़ जमीन थी, जिससे किसी तरह गुजारा चलता था। खेती पारंपरिक तरीके से होती थी और दूध भी साल में केवल छह महीने ही उपलब्ध हो पाता था। आर्थिक तंगी के चलते वे खेती को उन्नत करने के तरीके तो जानती थीं, लेकिन उनके पास लागत जुटाने का कोई साधन नहीं था। 

वर्ष 2016 में जब वे लक्ष्मी स्व-सहायता समूह से जुड़ीं, तब से उनकी जिंदगी में बदलाव आने लगा। समूह से उन्होंने क्रमशः 50,000 दो बार, 1 लाख तीन बार, 1.5 लाख एक बार और 2 लाख रू. एक बार ऋण लिया। इस राशि का उपयोग उन्होंने दूधारू पशुओं की खरीदी, आलू-प्याज जैसी नकदी फसलों की खेती और खेती के संसाधनों में सुधार के लिए किया। इससे उनकी आमदनी में वृद्धि हुई। इसके साथ ही उनके बेटे ने इमरजेंसी केयर असिस्टेंट का 8 माह का प्रशिक्षण लेकर सागर के एक अस्पताल में नौकरी शुरू की, जिससे घर की आय में और इजाफा हुआ। आज उनके पास 10 दुधारू पशु सहित कुल 16 पालतू पशु हैं और उनकी कुल वार्षिक आय 4 लाख रू. से अधिक है। आमदनी बढ़ने के बाद उन्होंने कृषि यंत्र खरीदे, पक्का मकान बनवाया, और घर की आवश्यक वस्तुएं भी खरीदीं।


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