स्टॉप डायरिया अभियान का उद्देश्य बचपन में होने वाली डायरिया से बच्चों की मृत्यु को शून्य करना है; इसमें 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को दो ओआरएस पैकेट और जिंक की को-पैकेजिंग के साथ 2 महीने का अभियान शामिल हैI
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने सोमवार को नई दिल्ली में एक समारोह में डायरिया रोको अभियान-2024 की शुरुआत की। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल और प्रताप राव जाधव की मौजूदगी में ओ आर एस घोल तथा जिंक की गोलियां बच्चों को वितरित करने का अभियान शुरू किया। यह अभियान 1 जुलाई से शुरू होगा और 31 अगस्त तक चलेगा। 2 महीने तक चलने वाले इस अभियान में लोगों को डायरिया की रोकथाम के उपायों के प्रति जागरुक किया जाएगा। देश में डायरिया से होने वाली मौत को रोकने के लिए स्टॉप डायरिया कैंपेन की शुरुआत की गई है। स्टॉप डायरिया अभियान का उद्देश्य बचपन के दस्त के कारण शून्य बाल मृत्यु लक्ष्य को प्राप्त करना है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में जेपी नड्डा ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष, रोटावायरस वैक्सीन और इस स्टॉप डायरिया अभियान के बीच एक अनोखा संबंध है क्योंकि ये सभी स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मेरे पिछले कार्यकाल के दौरान शुरू की गई पहल में से थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहल से डायरिया के कारण बचपन में होने वाली मृत्यु दर को कम करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि 2014 में, भारत रोटावायरस वैक्सीन पेश करने वाला पहला देश था। इसी तरह, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत अभियान और आयुष्मान आरोग्य मंदिर नेटवर्क के विस्तार ने देश में डायरिया के मामलों और मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत में डायरिया प्रबंधन प्रयासों को मजबूत करने के लिए क्षमता निर्माण को बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाने के महत्व पर भी जोर दिया। राज्यों की तैयारियों के स्तर की सराहना करते हुए नड्डा ने उन्हें जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। यदि हमारे स्वास्थ्यकर्मी देश के सुदूर कोनों तक पहुंच सकते हैं और कोरोना टीकों की 220 करोड़ खुराकें दे सकते हैं, तो हमारे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मी स्टॉप डायरिया अभियान के दौरान भी वही मजबूत वितरण तंत्र बना सकते हैं।
स्टॉप डायरिया अभियान के फोकस क्षेत्र
- स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना: स्वास्थ्य सुविधाओं का उचित रखरखाव और उपयोग सुनिश्चित करना और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति (ओआरएस, जिंक) की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार: सुरक्षित पेयजल और बेहतर स्वच्छता प्रदान करने के लिए कठोर गुणवत्ता नियंत्रण उपायों और स्थायी कार्य प्रणालियों को लागू करना।
- पोषण कार्यक्रमों को बढ़ाना: बेहतर पोषण पहलों के माध्यम से दस्त रोगों के एक प्रमुख कारण कुपोषण को दूर करना।
- स्वच्छता शिक्षा को बढ़ावा देना: व्यापक स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से स्कूलों को आवश्यक सुविधाओं से लैस करना और बच्चों में स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना।
