लोक अदालतें प्रकरणों के निराकरण का सबसे सुलभ व सस्ता माध्यम: सत्रह करोड़ अट्ठावन लाख चार हजार आठ सौ ग्यारह रूपये का अवार्ड पारित किया गया
सागर । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली व मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के दिशा-निर्देशानुसार दिनाँक 08/03/2025 (शनिवार) को नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय, सागर एवं समस्त तहसील न्यायालयों में किया गया।
जिला मुख्यालय, सागर में उक्त नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सागर महेश कुमार शर्मा द्वारा मॉं सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवल व माल्यार्पण कर किया गया जिसमें प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय, अखिलेश कुमार मिश्र, विशेष न्यायाधीश व को-आर्डिनेटर नेशनल लोक अदालत प्रदीप सोनी, जिला मुख्यालय सागर में पदस्थ समस्त न्यायाधीशगण, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अंकित श्रीवास्तव, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ जितेन्द्र सिंह राजपूत, उपआयुक्त नगर पालिक निगम बघेल, संयुक्त कलेक्टर आरती यादव, बुंदेलखण्ड मेडीकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. ठाकुर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ममता तिमोरी, लीड बैंक मैनेजर सिंह, जिला अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष महेन्द्र सिंह कौरव, सचिव वीरेन्द्र प्रताप सिंह, अधिवक्तागण, न्यायालयीन कर्मचारीगण व बैंक, विद्युत, बी.एस.एन.एल., बीमा कंपनियों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।
उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुये प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा अपने उद्बोधन में आमजन को संदेश दिया कि समय-समय पर आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारगण द्वारा अपना मामला निराकृत करवाये जाने पर उनके समय व धन की बचत होती है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उपस्थितजन को शुभकामनाएं प्रेषित की। इस अवसर पर सचिव अंकित श्रीवास्तव द्वारा नेशनल लोक अदालत में गठित खण्डपीठों की जानकारी वर्णित करते हुये रूपरेखा से अवगत कराया।
शुभारंभ कार्यक्रम के अंत में महिला न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, महिला कर्मचारीगण को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सम्मानित किया गया।
दिनांक 08/03/2025 को आयोजित नेशनल लोक अदालत हेतु संपूर्ण जिले में कुल 48 खण्डपीठों का गठन किया गया, जिसमें न्यायालय में लंबित प्रकरणों में से 1160 प्रकरण एवं प्री-लिटिगेशन के 3081 प्रकरणों का निराकरण राजीनामा के आधार पर किया गया, जिसमें मोटर दुर्घटना के 96 प्रकरणों का निराकरण कर क्षतिपूर्ति राशि रूपये 1,91,61,589/- के अवार्ड पारित किए गए, चैक बाउंस के 207 प्रकरणों के निराकरण में कुल राशि रूपये 8,76,11,065/- का समझौता अवार्ड किया गया। आपराधिक प्रकृति के शमन योग्य 394 प्रकरण, विद्युत के 126 प्रकरण, पारिवारिक विवाद के 106 प्रकरण तथा दीवानी एवं अन्य प्रकृति के 66 प्रकरणों का निराकरण किया गया। विभिन्न बैंकों के 211 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, विद्युत विभाग के 558 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, नगर निगम के 1719 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, ई ट्रेफिक चालान के 512 प्रीलिटिगेशन संबंधी प्रकरण एवं अन्य प्रकृति के प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण भी इस अवसर पर हुआ जिसमें राशि रूपये 4,31,17,668/- का राजस्व प्राप्त हुआ।
सफलता की कहानी:-
01. माननीय प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय, सागर में लंबित प्रकरण में परिवादी की शादी दिनांक 23.02.2023 को हुई थी परिवादी अपने पति से करीब एक वर्ष से पृथक निवास कर रही थी। उभयपक्ष के बीच संतान न होने से छोटी-मोटी बातों को लेकर वाद विवाद हो गया था जिसके चलते पति द्वारा पत्नि को घर से निकाल दिया गया। तत्पश्चात परिवादी द्वारा उक्त न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया तब पीठासीन अधिकारी द्वारा नेशनल लोक अदालत में आपसी सुलहनामा हुआ और अनावेदक परिवादी को राजीखुशी से अपने साथ रखने को तैयार हो गया।
02. माननीय न्यायालय श्री विनय सिंह राजपूत, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय में लंबित एक आपराधिक प्रकरण में थाना सानौधा के अंतर्गत रहने वाली परिवार की देवरानी व जेठानी के मध्य आपस में एक दूसरे को देखने की बात पर से वाद विवाद हो गया था जिसकी रिपोर्ट थाना सानौधा में 09.12.2024 को हुई थी पीठासीन अधिकारी की मध्यस्थता में उभयपक्ष द्वारा आपसी राजीनामा कर खुशी खुशी प्रकरण समाप्त किया।
03. माननीय न्यायालय श्रीमती शिखा चतुर्वेर्दी, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, सागर के न्यायालय में लंबित प्रकरण में परिवादी की शादी दिनांक 11.05.2018 को थाना सानौधा अंतर्गत गांव में हुई थी परिवादी की 02 पुत्रियां भी हैं। परिवादी का अनावेदक और उसके परिवार के लोगों से जमीन की बात को लेकर वाद विवाद हो गया था जिसके कारण परिवादी ने महिला थाना सागर में अनावेदक पति और परिवार के विरूद्ध प्रताड़ना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। परिवादी 02 वर्ष से पृथक निवास कर रही थी। लोक अदालत के माध्यम से उभयपक्ष के बीच आपसी सामंजस्य हुआ और अनावेदक अपनी पत्नि और अपने बच्चों को अपने साथ रखने को तैयार हो गया। प्रकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से निराकृत हुआ।
