विकसित कृषि संकल्प अभियान में वैज्ञानिकों ने दी आधुनिक खेती की जानकारी
सागर । भारत सरकार द्वारा 29 मई से 12 जून तक देश सहित पूरे प्रदेश में चलाई जा रही विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत जैसीनगर में मंगलवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अभियान का उद्देश्य किसानों को अनुसंधानपरक आधुनिक और वैज्ञानिक कॄषि पद्धतियों अपनाने हेतु प्रेरित करना है। कार्यक्रम को सांसद सागर लता वानखेड़े ने संबोधित करते हुए कहा कि “खेती से अर्जन के के लिए आवश्यक है कि किसान वैज्ञानिक तरीके अपना के अपनी कृषि करे। जिससे समय , श्रम ऐवम प्राकृतिक संसाधनों का समूचित उपयोग हो, बीज की बचत हो, उत्पादन बढ़े — इसके लिए हमें वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार खेती करनी चाहिए। भारत सरकार ऐवम प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रहे हैं।”जिनका प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत ने अपने संबोधन में कहा,“किसान हितैषी सरकार ने वैज्ञानिकों को आपके बीच खेती की शुरुआत के पहले भेज है जिससे आगमी खेती में किसान अब हमें पुरानी परंपरागत खेती छोड़कर अनुसंधान के माध्यम से जनित तरीको को अपनाकर ज्यादा लाभ अर्जित कर सके। खेत की मिट्टी की जांच कराना आवश्यक है, इससे खेती की दिशा तय होगी। साथ ही उन्होंने चेताया कि नरवाई में आग लगाना बेहद नुकसानदायक है, इससे भूमि की उर्वरकता और जैविक जीवन दोनों खत्म होते हैं। सांसद महोदया के निर्देश पर क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र सागर के वैज्ञानिक ऐवम प्रभारी ने सहज ऐवम सरल भाषा मे किसानों को आगामी फसलों में प्रजातियों के चुनाव, अंकुरण परीक्षण, बीज उपचार विधि ऐवम रसायनों का चुनाव, बुबाई की विधियां ऐवम समन्वित पोषण ऐवम कीटव्याधि प्रबंधन को बताया। मृदा स्वस्थ कार्ड किये गये वितरित जिला पंचायत अध्यक्ष राजपूत ने इस अवसर पर किसानों को मृदा स्वस्थ कार्ड वितरित किये ऐवम कार्ड में लिखी गयी अनुसंशाओ को अपनाने हेतु प्रेरित किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सहायक संचालक, अनिल राय , एमके प्रजापति , शैलेश पांडेय बी टी एम कृषि विज्ञान केंद्र से डॉ ममता सिंह वैज्ञानिक , डॉ निशांत सिन्हा , भारतीय मृदा अनुसंधान संस्थान, भोपाल वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी एस के जैन ,उपस्थित रहे। कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने किसानों को सोयाबीन ऐवम मक्का में उन्नत बीज, फसल प्रबंधन, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग, मृदा परीक्षण, जल संरक्षण, जैविक खेती और आधुनिक कृषि उपकरणों के उपयोग पर विस्तार से जानकारी दी ।