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देवरी/आशीष दुबे
देवरी कला। महाकाल कॉलोनी में पंडित शिवनंदन मिश्रा के यहां चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा आचार्य पंडित महेंद्र कुमार शास्त्री ने प्रवचन देते हुए कहा मां-बाप को बेटा बेटी में फर्क नहीं करना चाहिए। जो ऐसा करते हैं उनका बुढ़ापे में कष्ट भोगना पड़ता है। उन्होंने काव्य की पंक्तियों के माध्यम से एक बूढ़े मां-बाप के जीवन की विभिन्न घटनाओं का चित्रण करते हुए बताया कि बुढ़ापे में एक मां-बाप ने बेटा बेटी में फर्क किए जाने के कारण यातनाएं भोगनी पड़ी। बूढ़े बाप को लकवा लग गया और मां की आंखों में देखना बंद हो गया। ऐसी स्थिति में पुत्र ने घर से निकाल दिया। दोनों बूढ़े मां-बाप घर से निकले और करने के लिए सोचने लगे। तभी उन्हें अपनी बेटी से मिलने की इच्छा हुई और वह कुछ दूर चले और उन्हें कुएं पर पानी भरते हुए अपनी बेटी दिखाई दी। जैसे ही बेटी को आवाज दी तो बेटी ने अपने मां-बाप को पहचान लिया और घर ले गए और उन्हें खाना खिलाया और मेहमानों की तरह सेवा की। बेटी ने मां-बाप के लिए अपने पति का घर छोड़ दिया और मां-बाप को लेकर उनके भरण प्रसन्न और सेवा में लग गई।
उन्होंने कहा कि समाज में बेटी के साथ घृणा की जाती है यदि ऐसे ही हालात रहे तो सृष्टि समाप्त हो जाएगी। हमारे भारत देश में समलैंगिक विवाह की स्वीकृति दी गई है, क्या इसकी आवश्यकता थी यह विचारणीय है।
उन्होंने भगवान के जन्म का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान के आने से देवी, देवताओं गंधर्व ऋषि मुनियों में खुशी थी और वह उनके आने की वांठ जोह रहे थे। उन्होंने कहा कि परमात्मा को सत्य से टोला गया है। परमात्मा हमारे अंदर भी है और जो लोग व्रत ले लेते हैं वही सत्य है।
श्रीमद् भागवत कथा के मुख्य यजमान श्रीमती हेमलता शिवनंदन मिश्रा ने श्रीमद् भागवत की आरती पूजन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रोता गणों ने श्रीमद् भागवत का रसपान किया।


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