जहाज
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बता दें कि तीन दिवसीय यात्रा के दौरान, आईसीजीएस समुद्र पहरेदार का दल समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया (एमपीआर), समुद्री खोज और बचाव (एम-एसएआर) और समुद्री कानून प्रवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हुए पेशेवर बातचीत में शामिल रहेगा। इस दौरान क्रॉस-डेक प्रशिक्षण, विषय वस्तु विशेषज्ञ आदान-प्रदान और ब्रुनेई समुद्री एजेंसियों के साथ खेल जैसी गतिविधियां भी शामिल होंगी।

इस यात्रा का उद्देश्य न केवल भारतीय तटरक्षक बल और उनके ब्रुनेई समकक्षों के बीच संबंधों को मजबूत करना है, बल्कि “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” की अवधारणा को मजबूत करते हुए भारत की जहाज निर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन करना भी है। इसके अलावा, आईसीजीएस समुद्र पहरेदार पर सवार 25 राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) सरकार की पहल “पुनीत सागर अभियान” में योगदान करते हुए स्थानीय युवा संगठनों के सहयोग से समुद्र तटों पर सफाई गतिविधियों में भाग लेंगे।

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यह विदेशी तैनाती द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और विदेशी मित्र देशों (एफएफसी) के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की भारतीय तटरक्षक बल की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। ब्रुनेई में मुआरा से पहले, आईसीजीएस समुद्र पहरेदार ने आसियान क्षेत्र में राजनयिक समुद्री गतिविधियों की निर्बाध निरंतरता का प्रदर्शन करते हुए वियतनाम और फिलीपींस का दौरा किया।

आसियान क्षेत्र में आईसीजीएस समुद्र पहरेदार की तैनाती समुद्री प्रदूषण के प्रति भारत की साझा चिंता और संकल्प को दर्शाती है। यह समुद्री सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ावा देती है, जो सागर – क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास, एक्ट ईस्ट पॉलिसी और हिंद-प्रशांत विजन में समाहित भारत की समुद्री दृष्टि के अनुरूप है।


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