राजभाषा
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सागर। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) का राजभाषा प्रकोष्ठ विश्‍वविद्यालय में राजभाषा के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रत्येक तिमाही में हिन्दी कार्यशाला का आयोजन करता है। इस अनुक्रम में 14 नवम्बर, 2024 को आचार्य नंददुलारे वाजपेयी सभागार, हिन्दी विभाग में विश्वविद्यालय के अनुभाग अधिकारियों एवं सहायकों हेतु ‘राजभाषा नीति एवं कार्यान्वयन’ विषय पर हिन्दी कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला के विषय-विशेषज्ञ हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. राजेन्द्र यादव ने प्रतिभागियों को राजभाषा की संकल्पना से अवगत कराते हुए बताया कि कार्यालयीन कामकाज में समुचित सम्प्रेषण के लिए सटीक शब्दों एवं सहज भाषा का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक पत्राचार, टिप्पण एवं आलेखन में शब्दों का चयन विशेष महत्व रखता है। एक सच्ची, सटीक व सकारात्म‍क टीप किसी भी मसले को सहजता से हल करने में सहायक हो सकती है। उन्होंने बताया कि अच्छे लेखन के लिए अभ्यास तथा निरंतर नए शब्द सीखते रहना नितांत आवश्यक है।

हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. हिमांशु कुमार ने भारत सरकार की राजभाषा नीति पर प्रकाश डालते हुए राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधानों तथा राजभाषा नियमों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि आठवीं अनुसूची में दर्ज भारतीय भाषाओं सहित हिन्दी का विकास हम सब की प्राथमिकता में होना चाहिए। इससे न केवल कार्यालयीन कामकाज बल्कि हमारे दैनन्दिन जीवनचर्या में भी भाषायी समृद्धि सुनिश्चित हो सकेगी।

कार्यशाला की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए सहायक कुलसचिव श्री राजकुमार पाल ने बताया कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कार्मिक होने के नाते हिन्दी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देना हमारी प्रशासनिक एवं नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रतिभागियों को राजभाषा की प्रगामी प्रगति की दिशा में विश्वविद्यालय में प्रवृत्त विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों से अवगत कराते हुए सभी से अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने का आवाहन किया। कार्यशाला में प्रतिभागियों के लिए राजभाषा नीति और प्रशासनिक शब्दावली पर आधारित प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की गई।

ध्यातव्य है कि अनुभाग अधिकारियों एवं सहायकों के लिए कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय माननीया कुलपति महोदया की अध्यक्षता में आयोजित विश्वविद्यालयीन राजभाषा कार्यान्वयन समिति की 46वीं तिमाही बैठक में लिया गया था। समिति के सदस्य-सचिव संयुक्त कुलसचिव एवं प्रभारी राजभाषा अधिकारी श्री संतोष सोहगौरा ने बताया कि हिन्दी कार्यशालाएं कार्मिकों को हिन्दी में कार्यालयीन कामकाज करने के लिए प्रेरित करने, राजभाषा नियमों से अवगत कराने तथा राजभाषा कार्यान्वयन में आ रही समस्याओं के निराकरण करने में महती भूमिका निभाती हैं।

कार्यशाला में रजनीश जैन, रोहित रघुवंशी, उमेश कुमार चढ़ार, डॉ. उदय श्रीवास्तव, अजब सिंह, प्रेमसागर गुजरे, मनोज कुमार कावड़े, विजय कुमार रजक, शेखर हेडाउ, जयप्रकाश, पवन कुमार कोरी, सतीश कुमार सरल एवं लक्ष्मी जाटव सहित 13 अनुभाग अधिकारियों एवं कार्यालय सहायकों ने प्रतिभागिता की। विशिष्‍ट उपस्थिति हिन्‍दी विभाग के सह-प्राध्‍यापक डॉ. संजय नैनवाड़, सहायक प्राध्‍यापक डॉ. अरविंद कुमार एवं ईएमएमआरसी, सागर के माधव चंद्रा की रही कार्यशाला का संचालन राजभाषा प्रकोष्ठ के अनुवादक अभिषेक सक्सेना ने किया। विशेष सहयोग उच्च श्रेणी लिपिक विनोद रजक का रहा। आभार ज्ञापन अनुभाग अधिकारी रजनीश जैन ने किया।


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