- “ज्योति शर्मा”
विस्तृत है ये जीवन, अनगिनत हैं राहें,
हर कदम पर एक नई, रंग-बिरंगी चाहें।
सपनों के झरोखे में, उड़ान भरती आशा,
धूप-छाँव के संग, चलती मन की भाषा।
समय की धारा में, बहते हैं अनगिनत पल,
कभी हंसी, कभी आँसू, सजीव हैं सब कल।
बचपन की कहानियाँ, यौवन की उमंगें,
बुढ़ापे की शांति, सब में हैं विशेष रंग।
हर मोड़ पर मिलती, एक नई चुनौती,
पर आशा के दीपक से, जगमगाती ज्योति।
विस्तृत है ये जीवन, अनमोल है हर क्षण,
प्रेम, संघर्ष, समर्पण, है इसका मूल धन।
चलो साथ-साथ, इस सफर को जी भर जिएं,
हर लम्हे को अपनेपन से, अमूल्य बनाएँ।
ताकि विस्तृत रहें, इस जीवन के परे भी,
जीवंत रहे हर पल ,अपनों का अपनों के संग बंधन।
क्योंकि विस्तृत है ये जीवन ,
क्योंकि विस्तृत है ये जीवन।।