मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की आमजनों से अपील
ज्योति शर्मा,सागर । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरी ने शीत लहर से बचाव संबंधी शासन ने प्राप्त दिशा-निर्देशानुसार शीत ऋतु में वातावरण का तापमान अत्याधिक कम होने (शीत लहर के कारण मानव स्वास्थय पर अनेक विपरीत प्रभाव जैसे सर्दी, जुकाम, बुखार, निमोनिया, त्वचा रोग, फेफड़ो में संक्रमण, हाईपथर्मिया, अस्थमा, एनजी कीने की आशका बढ़ जाती है एवं यदि समय पर नियंत्रण न किया जाये, तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है।
शीतघात बचाव के लिये क्या करे एवं क्या न करे –
शीत लहर की आशंका होने पर स्थानीय मौसम पूर्व अनुमान के लिये टीवी/समाचार पत्रों जैसे मीडिया प्रकाशन का ध्यान रखें। फ्लू, बुखार, नाक बहना, भरीनाक, बंद नाक जैसी विभिन्न बीमारी की संभावना आमतौर पर ठंड में लम्बे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं अतः आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकले। शीतलहर में दीर्घकालीन बीमारियां जैसे-डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वांस संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्धजन, 05 साल से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती हैं।
शीतघात के दौरान-
शरीर को सूखा रखें शरीर के गर्माहट बनायें रखने हेतु अपने सिर, गर्दन, कान, नाक, हाथ, पैर की उगलियों को पर्याप्त रूप में रखें। शरीर को गर्म बनाये रखने के लिये टोपी, हेड, मफलर, जूतो को उपयोग करें। स्वास्थ्य वर्धक गर्म भोजन का सेवन करे। शीत तासीर के भोजन से दुर रहे। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती विटामिन सी से भरपूर ताजे फल खाये गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पिये बुजुर्ग, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का यशासंभव अधिक ध्यान रखें।
शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगो के लक्षणों जैसे संवेदनशून्यता सफेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उगलियां, कान की ली तथा नाक की उपरी सतह का ध्यान रखें। अचेतावस्था में किसी व्यक्ति को कोई तरल पदार्थ न दे। भीत से प्रभावित अंगों को गुनगने पानी से इलाज करे। कंपकपी, बालने में दिक्कत, अनिन्द्रा, मासपेशियों की अकड़न, सांस लेने मे दिक्कत की अवस्था हो सकती है। जिसका तत्काल चिकित्सीय उपचार लेये। डॉ. ममता तिमोरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सागर ने आमजनों से अपील हैं कि उक्त सुझावों का पालन करें स्वंय तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा की देखभाल करें ।
