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श्री कृष्ण प्रेम-भक्ति , रुप-सौंदर्य, और गुण सभी में माधुर्यता के सर्वश्रेष्ठ रूप हैं – सरोज गुप्ता

सागर । संस्कृति विभाग एवं उच्च उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के अंतर्गत शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में श्री कृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में विद्यार्थियों द्वारा मटकी फोड़ तथा श्री कृष्ण -राधा का रूप अभिनय के साथ श्री कृष्ण जी के जीवन एवं उनकी शिक्षा पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सागर के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं गजल लेखक अशोक मिजाज थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में एनसीसी के विद्यार्थियों द्वारा मटकी फोड़ कर श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर ढाई बाबा नंद की, जय कन्हैया लाल की , के उदघोष से महाविद्यालय को गुंजायमान कर दिया। 
व्याख्यान माला का आरंभ अतिथि अशोक मिजाज एवं प्राचार्य डॉ. गुप्ता द्वारा श्री कृष्ण जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। इसी क्रम में हिंदी विभाग के डॉ. सुरेंद्र यादव ने उद्धव गोपी प्रसंग द्वारा श्री कृष्ण के प्रति प्रेम समर्पण और श्रद्धा भाव पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। हिंदी विभाग के ही डॉ. अवधेश प्रताप सिंह ने ईश्वर को स्वयंभू बताते हुए श्री कृष्ण जी के अवतरण के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला, उन्होंने अपनी कविता भी प्रस्तुत की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ सरोज गुप्ता ने भगवान श्री कृष्ण को युग प्रवर्तक एवं 64 कलाओं में प्रवीण बताते हुए कहा कि वे प्रेम-भक्ति भाव, रुप-सौंदर्य, और गुण सभी में माधुर्यता के सर्वश्रेष्ठ रूप हैं, इसी वजह से भक्तिकालीन लगभग सभी कवियों ने उनके जीवन के हर रूप चाहे वह बाल्यकाल हो या यौवन सभी पर प्रचुर काव्य की रचना की है उन्होंने अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं गीत द्वारा श्री कृष्ण जी के माधुर्य को प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अशोक मिजाज ने कहा कि श्री कृष्ण जहां नीति व नियम होते हैं वहां मुरलीधर होते हैं और जहां छल कपट होता है वह चक्रधर बन जाते है।उन्होंने छोटी-छोटी रचनाओं द्वारा श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। विद्यार्थियों को उन्होंने श्री कृष्ण जी के जीवन से प्रेरणा लेते हुए परिश्रम करने की अपील की,साथ ही आज की विपरीत परिस्थितियों में श्रीकृष्ण जी को उलाहना देते हुए गजल प्रस्तुत की -‘लगी दिल की हमसे कहीं जाए ना, गजल आंसुओं से लिखी जाए ना। उठा ले कन्हैया सुदर्शन तू, कि तेरी मुरली अब सुनी जाए ना । इसी तरह उन्होंने पड़ोसी देश की नापाक हरकतों पर व्यंग प्रस्तुत करते हुए कहा हमारे अंतरमन को वह अक्सर जिंझोड़ देता है ,वह बार-बार दहशत के सांप छोड़ देता है ।मैं उस तरफ पुल बनाता हूं, वह बार-बार धमाके से उसे तोड़ देता है।  इसी क्रम में आगे हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ.राणा कुंजर ने श्रीकृष्ण और राम के के कार्यों की तुलना करते हुए कहा कि हमें श्री कृष्ण जी द्वारा बताए गए कार्यों को करना चाहिए ।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. अमर कुमार जैन ने कहा कि श्रीकृष्ण जी के जीवन के प्रत्येक रूप में पूर्णता दिखाई देती है गुरु -शिष्य के रूप में श्री कृष्ण व -अर्जुन ,प्रेम के रूप में राधा व श्रीकृष्ण और मित्र के रूप में श्रीकृष्ण -सुदामा के प्रसंग की ही चर्चा की जाती है । कार्यक्रम में डा इमराना सिद्दीकी ,डा जय कुमार सोनी डा संगीता मुखजी,डा प्रतिभा जैन,डा संगीता कुम्हारे डा शुचिता अग्रवाल, डा देवेंद्र ठाकुर, डा अनुरोध ,डा बरदिया ,डा लेफ्टिनेंट जयनारायण यादव, लेफ्टिनेंट कीर्ति रैकवार सहित लगभग 100 विद्यार्थी उपस्थित थे।


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