डॉ. गौर की प्रेरणा से कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहकर कार्य करें, यही सच्ची श्रद्धांजलि- कुलपति
सागर। डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 155वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 20 नवंबर से 26 नवंबर तक ‘गौर उत्सव’ 2024 का आयोजन किया जा रहा है। 21 नवंबर को विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन स्वर्ण जयन्ती सभागार में किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश शासन ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल एवं विशेष अतिथि रानी अवंतीबाई राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार मिश्रा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की। इस अवसर पर जिलापंचायत अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत, युवा नेता गौरव सिरोठिया, जिला पंचायत सीईओ विवेक के वी, डीसीडीसी प्रो एन पी सिंह, प्रभारी कुलसचिव डॉ. एस पी उपाध्याय, डॉ. आशीष पटेरिया, डॉ. सुशील गुप्ता एवं डॉ. राजू टंडन मंचासीन थे. स्वागत भाषण डॉ. सुशील गुप्ता ने दिया। संचालन डॉ अवनीश मिश्रा ने किया।
इस अवसर पर मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि डॉ. गौर द्वारा स्थापित शिक्षा के इस मंदिर से मेरा बहुत पुराना नाता है। उन्होंने अपने पुरुषार्थ से कमाए हुए सर्वस्व धन को दान कर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। वे देश के अनमोल रत्न हैं, उनके जैसा उदाहरण पूरे देश में कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि नव स्थापित राज्य विश्वविद्यालय डॉ. गौर के शिक्षा में अद्वितीय योगदान के उनके भाव को ताकत देगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति यश पाना चाहता है लेकिन किस तरह का यश उसे प्राप्त करना है उसे खुद तय करना होता है।अगर आप पीढ़ियों तक यश प्राप्त करना चाहते हैं तो शिक्षा के केंद्र स्थापित की जिए जैसा डॉ. गौर ने किया। यही कारण है कि वे न केवल कई पीढ़ियों तक याद किये जायेंगे बल्कि वे अमर हैं। एक महान अधिवक्ता, समाज सुधारक, लेखक के रूप में उनका व्यक्तित्व हम सबके लिए प्रेरणादायी है। हमें उनके संस्थान में पढ़ने, पढ़ाने और किसी भी रूप में जुड़े रहने पर गर्व होना चाहिए। डॉ. गौर संकल्प के साथ कार्य करते थे। संकल्प व्यक्तिगत होता है और संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। संकल्प न होने से महानतम कार्य रुक जाते हैं।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से डॉ. गौर की जयन्ती पर साप्ताहिक आयोजन करते हुए हम उत्सव की तरह मनाते हैं जिसमें पूरे शहर के लोग सम्मिलित होते हैं। इस वर्ष युवा महोत्सव का भी आयोजन किया जा रहा है, इसलिए पूरे 11 दिनों तक यह आयोजन चलेगा। खेल समग्र व्यक्तित्व का विकास करता है और खेल गतिविधि के माध्यम से इस युवा उत्सव की शुरुआत हुई है। इसी श्रृंखला में आज यह सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्बद्ध महाविद्यालयों द्वारा आयोजित किया गया है। डॉ. गौर की प्रेरणा के साथ हम नित नए मुकाम हासिल कर रहे हैं। हम सब अपने कर्तव्य पथ पर इसी तरह अग्रसर रहकर कार्य करें, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हमारे विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं पूरी दुनिया में डॉ. गौर का नाम रोशन कर रहे हैं। डॉ. गौर की प्रेरणा, संकल्प और उनके महान अवदान का प्रतिफल ही है कि आज हर क्षेत्र में हमारे विद्यार्थी उच्च पदों पर पहुंचे हैं।
रानी अवंतीबाई राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद मिश्रा ने कहा कि यह प्रथम अवसर है जब वे डॉ. गौर द्वारा स्थापित शिक्षा के इस मंदिर में आये हैं उन्होंने कहा कि डॉ. गौर द्वारा शिक्षा के लिए दान करना उनकी शिक्षा के प्रतिबद्धता और संकल्प को दर्शाता है। वे एक महान व्यक्तित्व थे जिनके अवदान के कारण लाखों विद्यार्थी आज शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और अपने भविष्य को संवार रहे हैं। उन्होंने राज्य विश्वविद्यालय की प्रगति भी साझा की। इस अवसर पर विभिन्न सम्बद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य, शिक्षक, प्रतिनिधि, विद्यार्थी, विवि के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।
सम्बद्ध महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने दी रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से सम्बद्ध महाविद्यालयों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई। बी.टी. इन्स्टीटयूट ऑफ एक्सीलेन्स विद्यार्थियों ने गणेश वंदना व देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। छात्र-छात्राओं ने कठपुतली नृत्य, समूह नृत्य व एकल नृत्य, मूक अभिनय, राजस्थान का प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य, मराठी समूह नृत्य, एकल गायन भजन, , एकल नृत्य शास्त्रीय आदि की प्बीरस्तुति दी. जिसमें बी टी. इन्स्टीटयूट ऑफ एक्सीलेन्स, राजीव लोचनाचार्य महाविद्यालय खुरई, बी.के.पी. महाविद्यालय मालथौन , सुन्दरलाल श्रीवास्तव महाविद्यालय, ओम श्री महाविद्यालय, टाइम्स कालेज दमोह, एरिसेंट महाविद्यालय एवं अन्य सम्बद्ध महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम समापन के अवसर पर सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।