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जन सहयोग के रूप में अब तक 1 करोड़ से अधिक राशि के संकल्प पत्र हुए प्राप्त

हमारे नगर, कस्बे और गांवों का जीवंत और समृद्ध इतिहास होता है। अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि के प्रति हमारा भी दायित्व है। संस्कृति, परंपरा और इनका निर्माण करने वाले गौरवशाली महापुरुषों को वर्ष में एक दिन स्मरण करने के लिए गौरव दिवस मनाया जाना चाहिए। जो पीढ़ियां अपना इतिहास भूल जाती हैं वे गुलामी के मार्ग पर जाने लगती हैं। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कलेक्टर सभाकक्ष में आयोजित सागर गौरव दिवस आयोजन समिति की बैठक में यह विचार व्यक्त किए। मंत्री सिंह ने बताया कि नगर, कस्बों और ग्रामों के गौरव दिवस मनाने का मौलिक विचार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रखा था। मध्यप्रदेश में लगभग दो सौ नगरों के गौरव दिवस स्थानीय निवासियों के जन भागीदारी से मनाए जा चुके हैं। मंत्री सिंह ने बताया कि नगरों में वहां की सबसे विख्यात पहचान महापुरुषों, संतों, धर्मस्थलों आदि से होती है उन्हीं के अनुसार गौरव दिवस की तारीख तय कर ली जाती है। इंदौर का गौरव दिवस वहां की जनता ने रानी अहिल्या बाई के लिए समर्पित किया, दतिया में मां पीतांबरा पीठ के लिए।उन्होंने कहा कि सागर के इतिहास में भी बहुत सी ऐसी विभूतियां रहीं जिनका योगदान अविस्मरणीय है। इनमें से प्रमुख रूप से डॉ. हरीसिंह गौर, लाखा बंजारा और बी आर नायडू ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनका योगदान व्यापक प्रभाव डालने वाला रहा है। सागर गौरव दिवस की परंपरा के लिए डॉ. गौर साहब की जयंती 26 नवंबर को तय करना उनके योगदान की महानता के कारण स्वाभाविक है।मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि डॉ. गौर का व्यक्तित्व देश और समाज के लिए महान है। अपनी निजी आमदनी के खर्च से स्वतंत्रता के आरंभ में बुंदेलखंड के पिछड़े क्षेत्र को देश का बड़ा उच्च शिक्षा का केंद्र बना कर डॉ. गौर ने ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है जो देश में अनूठा है। उनके विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों ने ऐसे दुर्लभ विषयों में प्रतिभाएं गढ़ीं जो विषय देश में कहीं और नहीं पढ़ाए जाते थे। अशिक्षित गरीब और पिछड़े बुंदेलखंड की कई पीढ़ियों के लाखों लोगों को डॉ. हरीसिंह गौर की कृपा से रोजगार मिला। उनके विश्वविद्यालय से निकले विद्यार्थी देश विदेश में उच्च पदों पर रहे हैं और यह प्रक्रिया अनवरत जारी है। ऐसी महान शख्सियत के इतिहास और योगदान को युवा पीढ़ी जान सके इसके लिए शिक्षा क्षेत्र से जुड़े संस्थानों को सागर गौरव दिवस में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।मंत्री सिंह ने बैठक में बताया कि आज ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बातचीत के दौरान पूछा था कि सागर गौरव दिवस के लिए सरकार की ओर से क्या करना है, लेकिन मैंने उन्हें यह कह कर मना कर दिया कि सरकार के लिए पांच सात करोड़ की राशि बड़ी बात नहीं है लेकिन इससे आयोजन के प्रति जनभावना का जुड़ाव वैसा नहीं रह जाएगा। मंत्री सिंह ने कहा कि नगरीय विकास विभाग की ओर से दो करोड़ की राशि स्वीकृत की है लेकिन शेष राशि को जन सहयोग से एकत्रित किया जाएगा।मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि तीन चार दिवस के विभिन्न आयोजनों तथा मुख्य समारोह पर कुल 5 करोड़ रुपए से अधिक व्यय होने का एस्टीमेट है। उन्होंने आयोजन समिति की ओर से अपील करते हुए कहा कि जो भी आयोजन में स्वेच्छा से जनसहयोग करना चाहे उनके लिए बैंक अकाउंट देकर पारदर्शी व्यवस्था बनी है। जो भी सागर और डा हरीसिंह गौर के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते हैं वे बिना किसी दवाब के ऐच्छिक रूप से अपनी क्षमतानुसार से योग कर सकते हैं। मंत्री सिंह ने सभी से अपील की कि वे इस एतिहासिक आयोजन में अपना समय निकाल कर शामिल अवश्य हों। 26 नवंबर को अवकाश घोषित किया गया है। सागर गौरव दिवस के रूप में हम सभी ऐसी परंपरा का आरंभ कर रहे हैं जिससे आने वाली पीढ़ियां अपने नगर जन्मभूमि, कर्मभूमि के प्रति आत्मीयता और कृतज्ञता का बोध जागृत कर सकें।


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