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कलेक्टर दीपक आर्य ने जिले के पशु पालकों से अपील की है कि गौवंशी पशुओं में होने वाली लंपी वायरस की बीमारी के नियंत्रण के लिए अपने पशुओं को खुला न छोडे उन्हें घर पर ही बांध कर रखे और उन्हें घर पर ही खिलाए। इसी प्रकार उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. बी.के. पटेल ने पशु पालकों से अनुरोध किया है कि लंपी वायरस से होने वाली बीमारी के प्रति ऐहतियात बरते। उन्होंने पशुपालकों से कहा है कि वे गौवंशी पशुओं में होने वाली लंपी वायरस की बीमारी के रोकथाम के लिए अपने पशुओं को घर पर रखकर खिलाए उन्हें खुले में न छोडें। लंपी वायरस के लक्षण – लंपी रोग से पशुओं को शुरू में बुखार आता है और वे चारा खाना बंद कर देते हैं। इसके बाद चमड़ी पर गाँठें दिखाई देने लगती है, पशु थका हुआ और सुस्त दिखाई देता है, नाक से पानी बहना एवं लंगड़ा कर चलता है। यह लक्षण दिखाई देने पर पशुपालक तुरंत अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय से संपर्क कर बीमार पशुओं का उपचार कराएँ। पशु सामान्यतः 10 से 12 दिन में स्वस्थ हो जाता है। संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करें। उपचार – पशु चिकित्सक से तत्काल उपचार आरंभ कराएँ। संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर, गौ-शाला आदि जगहों पर साफ-सफाई, जीवाणु एवं विशाणु नाशक रसायनों का प्रयोग करें। पशुओं के शरीर पर होने वाले परजीवी जैसे- किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएँ और पशु चिकित्सक को आवश्यक सहयोग भी करें।


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