GI Tag : बनारस : 16 अप्रैल को चेन्नई स्थित जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) रजिस्ट्री कार्यालय ने नए उत्पादों की लिस्ट जारी की। देश की आजादी से जुड़ी तिरंगा बर्फी को जीआई उत्पाद का दर्जा मिल गया है। वहीं ढलुआ धातुशिल्प भी जीआई श्रेणी में शामिल हो गई है। इस तरह बनारस क्षेत्र के कुल 34 उत्पाद और प्रदेश में अब कुल 75 उत्पाद को जीआई टैग मिल चुका है। काशी को सर्वाधिक विविधता वाला GI शहर भी कहा जाता है।
बनारस में बड़े मिठाई प्रतिष्ठानों में परंपरा के तहत तिरंगा बर्फी बनाई जाती है। वही ढलुआ धातुशिल्प की बात करें तो गंगाजली लोटा, देवी-देवताओं की पीतल की मूर्तियां, घंटी और घंटे ढलुआ धातुशिल्प के नमूने हैं।
क्या आप जानते है ?
कुछ रोचक तथ्यों के बारे में-
वाराणसी की तिरंगा बर्फी
देश की आजादी के आंदोलन के समय क्रांतिकारियों की खुफिया बैठकों एवं गुप्त सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए इस तिरंगा बर्फी का इजाद हुआ। इसमें केसरिया रंग के लिए केसर, हरे रंग के लिए पिस्ता और बीच में सफेद रंग के लिए खोया व काजू का प्रयोग किया जाता रहा है।
वाराणसी की ढलुआ धातुशिल्प
वहीं बनारस ढलुआ धातुशिल्प में ठोस छोटी मूर्तियां जिसमें मां अन्नपूर्णा, लक्ष्मी-गणेश, दुर्गाजी, हनुमान जी, विभिन्न प्रकार के यंत्र, नक्कासीदार घंटी-घंटा, सिंहासन, आचमनी पंचपात्र और सिक्कों की ढलाई वाले सील ज्यादा मशहूर रहे हैं।
बनारस क्षेत्र के अन्य GI उत्पाद
बनारस ब्रोकेड एवं साड़ी, हस्तनिर्मित कालीन, गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी का खिलौना, मिर्जापुर दरी, निजामाबाद ब्लैक पॉटरी, गाजीपुर वॉल हैंगिंग, सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, मेटल रिपोजी, मऊ साड़ी, गोरखपुर टेराकोटा, चुनार बलुआ पत्थर, वुड कार्निंग, हैंड ब्लॉक प्रिंट, जरदोजी, मिर्जापुर पीतल के बर्तन, प्रतापगढ़ आंवला, लंगड़ा आम, रामनगर भंटा, बनारसी पान, आदमचीनी चावल, ग्लास बीड्स, ठंडई, तबला, लाल भरवा मिर्च, शहनाई, लाल पेड़ा, बनारस म्यूरल पेंटिंग, मूंज क्राफ्ट, जौनपुर इमरती, चिरईगांव का करौंदा।