हाइड्रोजन बस
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Hydrogen Powered Fuel Cell Bus : भारतीय सेना को पहली हाइड्रोजन से चलने वाली पहली बस मिल गई है ऑलिव ग्रीन – गोइंग ग्रीन” के तहत भारतीय सेना को पहली हाइड्रोजन बस सौंपी गई है I

Hydrogen Bus बस की यह है खासियते 

हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक(Hydrogen Powered Fuel Cell Bus ) इलेक्ट्रो-रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से हाइड्रोजन गैस को बिजली में परिवर्तित करके विद्युत ऊर्जा का एक स्वच्छ व कुशल विकल्प प्रदान करती है। यह प्रक्रिया जल वाष्प को एकमात्र उत्सर्जित पदार्थ के रूप में छोड़ती है और इस तरह से यह शून्य उत्सर्जन सुनिश्चित करती है।

हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाली बस में 37 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। यह हाइड्रोजन ईंधन के पूरे 30 किलोग्राम के ऑनबोर्ड टैंक पर 250-300 किलोमीटर का प्रभावशाली माइलेज प्रदान करती है।

hydogen bus

नवाचार और पर्यावरणीय जिम्मेदारी पर ध्यान देने के साथ ही भारतीय सेना तथा इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित बस का प्रयास एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। यह पहल स्वच्छ और हरित परिवहन समाधान का मार्ग प्रशस्त करती है।

नवाचार को बढ़ावा देने और भविष्य के लिए टिकाऊ परिवहन समाधानों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता पर जोर

भारतीय सेना ने हरित एवं टिकाऊ परिवहन समाधान खोजने की दिशा में अपने दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करते हुए हाइड्रोजन ईंधन सेल बस प्रौद्योगिकी के परीक्षणों के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के साथ समझौता किया है। भारतीय सेना नवाचार और पर्यावरण प्रबंधन के प्रति अपनी वचनबद्धता के लिए जानी जाती है।

थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल मनोज पांडे और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्षश्रीकांत माधव वैद्य की उपस्थिति में भारतीय सेना तथा इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम के दौरान, भारतीय सेना को एक हाइड्रोजन ईंधन सेल से चालित बस सौंपी गई। यह भारतीय सेना और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी की शुरुआत का प्रतीक है। समझौता ज्ञापन में नवाचार को बढ़ावा देने और भविष्य के लिए टिकाऊ परिवहन समाधानों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया है।

आपको बता दे की भारतीय सेना ने देश की उत्तरी सीमाओं पर ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रोग्रिड पावर प्लांट की स्थापना के लिए विशेष रूप से, 21 मार्च 2023 को नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। यह ऐसा करने वाली पहली सरकारी इकाई बन गई है। इसके अलावा, चुशूल में एक प्रायोगिक परियोजना को शुरू किया जा रहा है, जहां पर 200 किलोवाट ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रोग्राम दुर्गम इलाके और कठिन जलवायु वाली परिस्थितियों में तैनात सैनिकों को 24×7 स्वच्छ माध्यम से बिजली प्रदान करेगा।


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